
जीत पर उनकी लगा दूँ मैं क़सीदों की झड़ी,
मात को उनकी मगर मात न लिखने पाऊँ|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जीत पर उनकी लगा दूँ मैं क़सीदों की झड़ी,
मात को उनकी मगर मात न लिखने पाऊँ|
राजेश रेड्डी
जीत के भी वो शर्मिंदा है हार के भी हम नाज़ाँ,
कम से कम वो दिल ही दिल में ये माना तो होगा|
जावेद अख़्तर
फिर यूँ हुआ कि वक़्त का पाँसा पलट गया,
उम्मीद जीत की थी मगर मात हो गई|
निदा फ़ाज़ली
जाओ जीत का जश्न मनाओ,
में झूठा हूँ तुम सच्चे हो|
मोहसिन नक़वी
जग ने छीना मुझसे,
मुझे जो भी लगा प्यारा|
सब जीता किये मुझसे,
मैं हर दम ही हारा|
तुम हार के दिल अपना,
मेरी जीत अमर कर दो|
होंठों से छूलो तुम …
इंदीवर