
उठा के सर मुझे इतना तो देख लेने दे,
कि क़त्ल-गाह में दीवाने आए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उठा के सर मुझे इतना तो देख लेने दे,
कि क़त्ल-गाह में दीवाने आए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है,
अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते|
बशीर बद्र
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया,
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला|
अहमद फ़राज़