
मुँह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन,
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन।
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुँह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन,
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन।
निदा फ़ाज़ली
रात भर पिछली ही आहट कान में आती रही,
झाँककर देखा गली में कोई भी आया न था|
अदीम हाशमी