
कब तक अभी रह देखें ऐ क़ामत-ए-जानाना,
कब हश्र मुअ’य्यन है तुझको तो ख़बर होगी|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कब तक अभी रह देखें ऐ क़ामत-ए-जानाना,
कब हश्र मुअ’य्यन है तुझको तो ख़बर होगी|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मैं संग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँ,
शायद मुझे देखेंगी पलट कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी
रास्ते अपनी नज़र बदला किए,
हम तुम्हारा रास्ता देखा किए|
राही मासूम रज़ा
आप की याद आती रही रात भर,
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क,
कोई ख़त ले के पड़ोसी के घर आया होगा|
कैफ़ भोपाली
शब-ए-इंतिज़ार आख़िर कभी होगी मुख़्तसर भी,
ये चराग़ बुझ रहे हैं मिरे साथ जलते जलते|
कैफ़ी आज़मी
रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
हर नए दिन नया इंतिज़ार आदमी|
निदा फ़ाज़ली
क्या ख़बर इंतिज़ार है किसका,
साल हा साल से खड़े हैं पेड़|
सूर्यभानु गुप्त
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है,
तलाश में है सहर बार बार गुज़री है|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ,
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ|
मुनीर नियाज़ी