
कभी जब आँधियाँ चलती हैं हमको याद आता है,
हवा का तेज़ चलना आपका दीवार हो जाना|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कभी जब आँधियाँ चलती हैं हमको याद आता है,
हवा का तेज़ चलना आपका दीवार हो जाना|
मुनव्वर राना
इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है,
झाँकूं उसके पीछे तो रुस्वाई ही रुस्वाई है|
क़तील शिफ़ाई
मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन,
मेरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है|
जावेद अख़्तर
अभी बे-साया है दीवार कहीं लोच न ख़म,
कोई खिड़की कहीं निकले कहीं मेहराब लगे|
निदा फ़ाज़ली
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए|
दुष्यंत कुमार
बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हे महफिल में,
मैं समझ जाऊंगा नज़रों से बताना मुझको।
असरार अंसारी