
ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ,
हमने तो सहरा में बसर की तुमने गुज़ारी रात कहाँ|
राही मासूम रज़ा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ,
हमने तो सहरा में बसर की तुमने गुज़ारी रात कहाँ|
राही मासूम रज़ा