
अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी,
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है|
सुदर्शन फाक़िर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी,
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है|
सुदर्शन फाक़िर