
हर तरफ़ दीवार-ओ-दर और उनमें आँखों का हुजूम,
कह सके जो दिल की हालत वो लबे-गोया नहीं|
मुनीर नियाज़ी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हर तरफ़ दीवार-ओ-दर और उनमें आँखों का हुजूम,
कह सके जो दिल की हालत वो लबे-गोया नहीं|
मुनीर नियाज़ी