
सुर्ख़ आहन पर टपकती बूँद है अब हर ख़ुशी,
ज़िंदगी ने यूँ तो पहले हमको तरसाया न था|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सुर्ख़ आहन पर टपकती बूँद है अब हर ख़ुशी,
ज़िंदगी ने यूँ तो पहले हमको तरसाया न था|
क़तील शिफ़ाई