
दीवाना पूछता है ये लहरों से बार बार,
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दीवाना पूछता है ये लहरों से बार बार,
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं|
कैफ़ी आज़मी
इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है|
दुष्यंत कुमार
जाने कितनी नदियों को धनवान बनाया झरनों ने,
चाँदी जैसी लहरें गिरती देखी हैं कोहसारों में।
नक़्श लायलपुरी