
हमसे न पूछो हिज्र के क़िस्से,
अपनी कहो अब तुम कैसे हो|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हमसे न पूछो हिज्र के क़िस्से,
अपनी कहो अब तुम कैसे हो|
मोहसिन नक़वी
क्या वो नमरूद की ख़ुदायी थी,
बन्दगी में मेरा भला न हुआ|
मिर्ज़ा ग़ालिब
हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से,
अपनी कहो अब तुम कैसे हो|
मोहसिन नक़वी