
आँखों में नमी सी है चुप चुप से वो बैठे हैं,
नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है|
जिगर मुरादाबादी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आँखों में नमी सी है चुप चुप से वो बैठे हैं,
नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है|
जिगर मुरादाबादी
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है|
गुलज़ार