
दुआ करो कि सलामत रहे मिरी हिम्मत,
ये इक चराग़ कई आँधियों पे भारी है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुआ करो कि सलामत रहे मिरी हिम्मत,
ये इक चराग़ कई आँधियों पे भारी है|
वसीम बरेलवी
अब खुला झोंकों के पीछे चल रही थीं आँधियाँ,
अब जो मंज़र है वो पहले तो नज़र आया न था|
क़तील शिफ़ाई
आंधियों के इरादे तो अच्छे ना थे,
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया|
वसीम बरेलवी