
जहाँ से पिछले पहर कोई तिश्ना-काम उठा,
वहीं पे तोड़े हैं यारों ने आज पैमाने|
कैफ़ी आज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जहाँ से पिछले पहर कोई तिश्ना-काम उठा,
वहीं पे तोड़े हैं यारों ने आज पैमाने|
कैफ़ी आज़मी