
अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी,
सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी,
सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी