
ख़ाली है मिरा साग़र तो रहे साक़ी को इशारा कौन करे,
ख़ुद्दारी-ए-साइल भी तो है कुछ हर बार तक़ाज़ा कौन करे|
आनंद नारायण मुल्ला
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ख़ाली है मिरा साग़र तो रहे साक़ी को इशारा कौन करे,
ख़ुद्दारी-ए-साइल भी तो है कुछ हर बार तक़ाज़ा कौन करे|
आनंद नारायण मुल्ला