
शहर-ए-एहसास में पथराव बहुत है मोहसिन,
दिल को शीशे के झरोखों से सजाया न करो|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
शहर-ए-एहसास में पथराव बहुत है मोहसिन,
दिल को शीशे के झरोखों से सजाया न करो|
मोहसिन नक़वी