
देते हैं उजाले मिरे सज्दों की गवाही,
मैं छुप के अँधेरे में इबादत नहीं करता|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
देते हैं उजाले मिरे सज्दों की गवाही,
मैं छुप के अँधेरे में इबादत नहीं करता|
क़तील शिफ़ाई
जो देखती हैं निगाहें वही नहीं सब कुछ,
ये एहतियात भी अपने बयान में रखना |
निदा फ़ाज़ली