
भरी दोपहर का खिला फूल है,
पसीने में लड़की नहाई हुई|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
भरी दोपहर का खिला फूल है,
पसीने में लड़की नहाई हुई|
बशीर बद्र
एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी,
गलियों गलियों मुझसे मिलने आये भी घबराये भी|
मोहसिन नक़वी
बांट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई|
फटे पुराने इक अलबम में, चंचल लड़की जैसी मां|
निदा फ़ाज़ली