SamaySakshi

A sky full of cotton beads like clouds

  • 81. सरेआम अमानवीयता
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  • 4th Jun 2023

    कोई त्यौहार होगा!

    ये सारे शहर में दहशत सी क्यूँ है, यक़ीनन कल कोई त्यौहार होगा| राजेश रेड्डी

  • 4th Jun 2023

    रेत का अम्बार होगा!

    ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा, वहाँ भी रेत का अम्बार होगा| राजेश रेड्डी

  • 4th Jun 2023

    होगा हल शायद!

    चाँद डूबे तो चाँद ही निकले, आपके पास होगा हल शायद|     गुलज़ार

  • 4th Jun 2023

    कोई पल शायद!

    राख को भी कुरेद कर देखो, अभी जलता हो कोई पल शायद| गुलज़ार

  • 4th Jun 2023

    प्रेम प्रताप!

    आज मैं हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष स्वर्गीय रामचन्द्र शुक्ल जी की एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ|  नीरज जी की कविता मैं आज पहली बार शेयर कर रहा हूँ| लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय रामचन्द्र शुक्ल जी की यह कविता – जग के सबही काज प्रेम ने सहज बनाये,जीवन सुखमय किया शांति के स्रोत…

  • 3rd Jun 2023

    कहीं कँवल शायद!

    आ रही है जो चाप क़दमों की, खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    नहीं अमल शायद!

    जानते हैं सवाब-ए-रहम-ओ-करम, उनसे होता नहीं अमल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    नहीं है हल शायद!

    दिल अगर है तो दर्द भी होगा, इसका कोई नहीं है हल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    मिरी ग़ज़ल शायद!

    लब पे आई मिरी ग़ज़ल शायद, वो अकेले हैं आज-कल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    अटका है पल शायद!

    कोई अटका हुआ है पल शायद, वक़्त में पड़ गया है बल शायद| गुलज़ार

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