स्वरों के खिलाड़ी-बंदिश बैंडिट्स!

आज मैं एमेजॉन प्राइम वीडियोज़ पर इन दिनों प्रदर्शित की जा रही वेब सीरीज़- ‘बंदिश बेंडिट्स’ को देखने के अपने अनुभव शेयर कर रहा हूँ| मुझमें इतना आत्मविश्वास या कहें कि अहंकार नहीं है कि मैं एक समीक्षक के रूप में खुद को प्रस्तुत करूं और आपको बताऊँ कि इसको देखना चाहिए या नहीं| बस मैंने कैसे इसे एंजॉय किया, इस बारे में कुछ बातें करूंगा| इस वेब सीरीज़ का एक सीजन प्रस्तुत किया गया है, बाद में हो सकता है कि और सीजन प्रस्तुत किए जाने हों|

कुल 10 एपिसोड हैं इस सीरीज़ में और इस प्रकार आप अपनी क्षमता और फुर्सत के आधार पर इसे एक से लेकर 3-4 दिन तक में पूरा देख सकते हैं|
विशेषताओं में से एक तो यही है कि यह संगीत पर आधारित है और हमें सुगम शास्त्रीय गायन, और पॉप सॉन्ग से लेकर फ्यूजन तक के कुछ नायाब नमूने इस सीरीज़ में सुनने को मिलते हैं, जिनको आप बाद में भी सुनते रह सकते हैं|

एक विशेषता यह भी है कि इसमें शास्त्रीय गायक पंडित राधे मोहन राठौड़ की भूमिका में हम नसीरुद्दीन शाह जी को देखते हैं और वे उच्च कोटि के कलाकार हैं, इसमें तो किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए| पंडित राधे मोहन बड़े कठोर और अनुशासन को लागू करने वाले संगीत शिक्षक हैं और किसी को इस मामले में ढील नहीं देते और उनके परिवार के बच्चे भी इस मामले में कोई फायदा नहीं उठा पाते|


पंडित राधे मोहन जोधपुर के संगीत सम्राट हैं और प्रतिवर्ष उनको यह सर्वोच्च सम्मान वहाँ के महाराज के हाथों मिलता रहता है|


पंडित राधे मोहन के पास एक बड़ी हवेली है, जो उनकी दूसरी पत्नी के पिता से उनको प्राप्त हुई थी, जोधपुर के संगीत घराने की विरासत के साथ-साथ| मैं पूरी कहानी नहीं सुनाऊँगा बस इतना ही बताऊंगा कि पंडित जी अपने पोते-राधे को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। जबकि उनकी पहली पत्नी का बेटा- दिग्विजय भी बहुत अच्छा गायक है लेकिन उसे पंडित जी ने अपना शिष्य तो बनाया था पर कभी अपनाया नहीं|

यह भी मालूम होता है कि अत्यंत सिद्धांतवादी पंडित जी कभी दिग्विजय की प्रेमिका के हाथों संगीत सम्राट की उपाधि गंवा बैठे थे और उसको अपने रास्ते से हटाने के लिए उन्होंने उसका विवाह अपने दूसरे बेटे से कराकर उसका संगीत छुड़वा दिया था|


कुल मिलाकर इस वेब सीरीज़ में संगीत के इस घराने के अन्तः संघर्ष हैं, पंडित जी का पोता और इस सीरीज़ का नायक- राधे, शास्त्रीय और पॉप तथा देह-संगीत के बीच डोलता रहता है| पंडित जी जो संगीत के कारण प्राप्त होने वाले सम्मान में अभिभूत रहते हैं, उनको यह पता ही नहीं चलता कि उनकी हवेली बिकने की नौबत कई बार आ चुकी है, क्योंकि उनके बेटे ने संगीत विद्यालय बनवाने के लिए कर्ज़ लिया था जिसे बिल्डर लेकर भाग गया| घर के कुछ लोग जहां उनके साथ शास्त्रीय संगीत का अभ्यास कराते हैं, वहीं चोरी-छिपे ‘जिंगल’ आदि भी गाते रहते हैं कमाई के लिए| राधे तो बाकायदा तमन्ना के साथ फ्यूजन संगीत के वीडियो रिलीज़ करता रहता है|


किस प्रकार उनका उत्तराधिकारी- राधे, फ्यूजन में ‘मास्क्ड मैन’ के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करता है, तमन्ना के साथ मिलकर और अंत में अपने अत्यंत मजबूत प्रतिद्वंद्वी दिग्विजय को भी पराजित करने में सफल होता है, यह देखने लायक है| कुल मिलाकर इस वेब सीरीज़ में जहां अच्छा संगीत सुनने को मिलता है वहीं अंत तक रुचि बनी रहती है, कुछ रहस्यों से पर्दा उठता रहता है| सभी कलाकारों ने इस सीरीज़ को सफल बनाने में अच्छा योगदान दिया है|
मुझे अपने अनुभव के आधार पर इतना ही कहना था, अब अपना फैसला आप स्वयं ले सकते हैं|

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|


*********

6 responses to “स्वरों के खिलाड़ी-बंदिश बैंडिट्स!”

  1. Sir I have watched this series too.. it is good and music given by Shankar Ehsaan Loy is beyond words.. I think it is usp of series.
    nice post sir

    Like

    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks a lot Vartika ji.

      Like

  2. Nice post
    I have also watched it. I have been thinking of writing my views since a while.
    Your post has reminded me.

    Like

    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Welcome.

      Like

  3. Pranam’s Shree Krishna Ji,
    I read this blog and it brought out the curiosity to watch this particular web series, and I must say I loved it. Thank you so much for writing and spreading the word about it.

    Like

    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks and welcome Nilesh Ji.

      Like

Leave a comment