224. लंदन छूटा जाय!

 

एक महीने के प्रवास के बाद कल सुबह लंदन छोड़ देंगे। कल दोपहर की फ्लाइट यहाँ से है, सो सुबह ही घर छोड़ देंगे, हाँ उस समय जब भारत में दोपहर होती है। फिर मुंबई होते हुए, परसों सुबह गोआ पहुंचेंगे।

बहुत लंबे समय तक यमुना मैया के पास, दिल्ली में यमुना पार- शाहदरा में रहे, एक वर्ष समुद्र के आकर्षण वाली नगरी मुंबई में रहे, अब गोआ में रहते हैं, जो समुद्र और अनेक बीच होने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन लंदन का अनुभव एकदम अलग था, जहाँ घर को छूते हुए ही समुद्र जैसी लगने वाली नदी ‘थेम्स’ बहती है।

दिन भर यहाँ रंग-बिरंगे आकर्षक शिप और बोट घर से ही देखने को मिलते थे, जो एक अलग ही अनुभव था। दुनिया के दूसरे छोर पर आकर यहाँ के स्थानों और अलग रंग, सभ्यता और संस्कृति वाले लोगों के बीच समय बिताने, एक दूसरी ही दुनिया को देखने का अवसर मिला।
कुछ लोगों की रुचि स्थानों में अधिक होती है, मेरी मनुष्यों में भी समान रूप से रुचि है, हालांकि यहाँ अधिक लोगों से बातचीत का अवसर तो नहीं मिला।

इससे पहले दुबई और यूएई के प्रांतों तथा तंजानिया में घूमने का अवसर मिला था। निश्चित रूप से हर अनुभव अपने आप में नया होता है।

लंबे समय तक एनटीपीसी में सेवा की लेकिन उस सेवा के दौरान कभी विदेश भ्रमण का अवसर नहीं मिला। मुझे याद एक बार एक कवि आए थे, मैं वहाँ कवि सम्मेलनों का आयोजन करता था। तो वे कवि, उनको दिखता भी कम था, ‘भोंपू’ नाम था उनका, उन्होंने एकदम अपनी आंखों से सटाकर मेरा हाथ देखा था और कहा था कि मैं तो पता नहीं जिंदा रहूंगा या नहीं, लेकिन आप दुनिया के कई देश घूमोगे!

मैं सेवा से रिटायर भी हो गया फिर सोचा कि अब कहाँ विदेश जाऊंगा, लेकिन बच्चों का प्रताप है कि कई देशों में घूमना हो गया। कुछ लोगों के लिए विदेश जाना सहज ही रूटीन का हिस्सा होता है लेकिन मेरे मामले में ऐसा नहीं था।

खैर, आज ज्यादा लंबी बात नहीं करूंगा और इसके बाद गोआ पहुंचने के बाद ही बात होगी।

आज के लिए इतना ही,

नमस्कार।


Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: