इंसानों पे क्या गुज़री है!

सदाबहार गायक मुकेश जी के गाये गीतों के क्रम में आज प्रस्तुत कर रहा हूँ, 1967 में रिलीज़ हुई मनोज कुमार जी की फिल्म- उपकार का एक गीत। दीवानगी को लेकर मुकेश जी ने बहुत से गीत गाए हैं और उनके प्रिय साथी और महान शो-मैन राज कपूर जी, इस तरह की भूमिकाएं निभाते रहे हैं, दीवानगी की! ऐसा इंसान जो दुनिया से, लोगों से एकतरफा प्यार करता जाता है, बिना इसकी परवाह किए कि बदले में उसे क्या मिलेगा।

खैर आज का गीत मनोज कुमार जी की फिल्म- उपकार से है और उन पर ही फिल्माया गया है। इस गीत के लेखक हैं क़मर जलालाबादी जी और इसका संगीत दिया है,  कल्याणजी-आनंदजी की प्रसिद्ध संगीतमय जोड़ी ने।

लीजिए अब बिना किसी भूमिका के इस मधुर गीत के बोल प्रस्तुत कर रहा हूँ–

दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुज़री है,
हाँ उनके दिलों से ये पूछो, अरमानों पे क्या गुज़री है।
दीवानों से ये मत पूछो…

औरों को पिलाते रहते हैं,
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं,
ये पीने वाले क्या जानें,
पैमानों पे क्या गुज़री है।
दीवानों से ये मत पूछो…

मालिक ने बनाया इन्सां को,
इंसाान मुहब्बत कर बैठा,
वो ऊपर बैठा क्या जाने,
इंसानों पे क्या गुज़री है।

दीवानों से ये मत पूछो, दीवानों पे क्या गुज़री है।

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।


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