छुप न सकेगा इश्क़ हमारा, चारों तरफ है उनका नज़ारा!

कल एक गीत शेयर किया था, बहुत पुरानी ऐतिहासिक कैरेक्टर्स को लेकर बनाई गई फिल्म से, प्रेम की शक्ति को, प्रेम के हार न मानने वाले जज़्बे को दर्शाने वाला गीत था।

असल में जब मुझे वह गीत याद आया तब मुझे जो फिल्म याद आ रही थी, वह थी- मुगल-ए-आज़म, पता नहीं क्यों ध्यान में यह फिल्म थी और गीत वह याद आ रहा था। आज मुगल-ए-आज़म का एक गीत शेयर करूंगा।

जब मुगल-ए-आज़म फिल्म को याद करता हूँ, तो अकबर के रूप में पृथ्वीराज कपूर जी का व्यक्तित्व याद आता है, अकबर एक शक्तिशाली शासक रहे हैं, लेकिन मुझे संदेह है कि उनका व्यक्तित्व पृथ्वीराज कपूर जी जैसा रौबीला रहा होगा! और उधर दिलीप कुमार जो एक लाडला बच्चा लगते हैं फिल्म में। जब पृथ्वीराज जी (मतलब कि अकबर) कहते हैं कि वे ‘हिंदुस्तान को किसी रक्कासा के पांव की पाज़ेब नहीं बनने देंगे’, तब यह लाडला बच्चा कहता है कि- ‘मेरा दिल भी आपका हिंदुस्तान नहीं है, जिस पर आपकी हुक़ूमत चले!’ (माफ करें मुझे डॉयलाग ठीक से याद नहीं हैं)।

इसी फिल्म में अनारकली जब एक रात के लिए सलीम की बेगम बनने की मांग अकबर-ए-आज़म से करती है, जिससे हिंदुस्तान का होने वाला शहंशाह ‘झूठा साबित न हो’ और अकबर उसकी यह बात मान लेते हैं,शर्तों के साथ, तब वह कहती है- ‘इस एहसान के बदले वह बादशाह को अपना खून माफ करती है’।

ऐसे ही कुछ संवाद, ठीक-ठीक संवाद भी नहीं, उनका कांटेंट याद आ रहा है, एक गीत शेयर करने से पहले। एक और कैरेक्टर बहुत जोरदार है, ‘संगतराश’ अर्थात मूर्तियां बनाने वाला, अकबर उसकी बनाई मूर्तियां देखकर कहते हैं- ‘मुझे मालूम नहीं था कि हमारी सल्तनत में ऐसे कलाकार भी आबाद हैं!’, इस पर संगतराश कहता है कि- ‘सच्चाई तो यह है कि आपकी सल्तनत में, मैं बर्बाद हूँ!’ बाद में जब अनारकली को मृत्युदंड दिया जाने वाला था तब यह कलाकार फिल्म में मुहब्बत की आवाज बुलंद करता है।
मधुबाला जी का ज़िक्र न करूं तो नाइंसाफी होगी, इस फिल्म में अनारकली की भूमिका उन्होंने निभाई है, बहुत खूबसूरत भी लगी हैं और जब चुनौती भरे अंदाज़ में ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गीत पर नृत्य करती हैं और हजारों आइनों में उनकी छवि दिखाई देती है तब अकबर-ए-आज़म का रुआब पानी-पानी हो जाता है। आज यही गीत शेयर कर रहा हूँ।

फिल्म- मुगल-ए-आज़म के लिए, शकील बदायुनी जी के लिखे इस गीत को नौशाद जी के संगीत निर्देशन में, लता मंगेशकर जी ने अपने मधुर स्वर में गाया है।

लीजिए इस नायाब गीत का आनंद लेते हैं-

 

 

इंसान किसी से दुनिया में,
एक बार मोहब्बत करता है।
इस दर्द को लेकर जीता है,
इस दर्द को लेकर मरता है।

 

प्यार किया तो डरना क्या,
जब प्यार किया तो डरना क्या।
प्यार किया कोई चोरी नहीं की,
छुप छुप आहें भरना क्या।
जब प्यार किया तो डरना क्या।

 

आज कहेंगे दिल का फ़साना,
जान भी ले ले, चाहे ज़माना।
मौत वही जो दुनिया देखे
घुट घुट कर यूँ मरना क्या।

 

उनकी तमन्ना दिल में रहेगी,
शमअ इसी महफ़िल में रहेगी।
इश्क में जीना इश्क में मरना,
और हमें अब करना क्या।
जब प्यार किया तो डरना क्या।

 

छुप ना सकेगा इश्क हमारा,
चारों तरफ़ हैं उनका नज़ारा।
परदा नहीं जब कोई खुदा से
बन्दों से परदा करना क्या।

जब प्यार किया तो डरना क्या॥

 

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।

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