
अहल-ए-महफ़िल पे कब अहवाल खुला है अपना,
मैं भी ख़ामोश रहा उसने भी पुर्सिश* नहीं की|
*पूछताछ
अहमद फ़राज़
A sky full of cotton beads like clouds
अहल-ए-महफ़िल पे कब अहवाल खुला है अपना,
मैं भी ख़ामोश रहा उसने भी पुर्सिश* नहीं की|
*पूछताछ
अहमद फ़राज़
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