दूर तक हाथ में कोई पत्थर न था,
फिर भी हम जाने क्यूँ सर बचाते रहे|
वसीम बरेलवी
A sky full of cotton beads like clouds
दूर तक हाथ में कोई पत्थर न था,
फिर भी हम जाने क्यूँ सर बचाते रहे|
वसीम बरेलवी
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