मुझे शक्ति दो – रवीन्द्रनाथ ठाकुर

आज, मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। मैं अनुवाद के लिए अंग्रेजी में मूल कविताएं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध काव्य संकलन- ‘PoemHunter.com’ से लेता हूँ। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘Give Me Strength’का भावानुवाद-


गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता

मुझे शक्ति दो


मेरी आपसे प्रार्थना है, मेरे प्रभु—आघात करो,
आघात करो मेरे हृदय के भीतर दरिद्रता के आधार पर|

मुझे शक्ति दो कि मैं, सहजता से अपनी खुशियों और दुखों को सह सकूँ|

मुझे शक्ति दो कि मैं, अपने प्रेम को सेवा के लिए कारगर बना सकूँ|

मुझे शक्ति दो कि मैं न तो किसी निर्धन को अकेला छोड़ दूँ, और न किसी शक्तिशाली अभद्र के सामने घुटने टेकूं|


मुझे शक्ति दो कि मैं अपने मन को प्रतिदिन आने वाले छोटे विचारों से, बहुत ऊपर उठा सकूँ|

और मुझे यह साहस भी दो कि मैं अपनी शक्ति को प्रेम के साथ, आपके समक्ष समर्पित कर सकूँ|


-रवींद्रनाथ ठाकुर



और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार पर मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-

Give Me Strength

This is my prayer to thee, my lord—strike,
strike at the root of penury in my heart.

Give me the strength lightly to bear my joys and sorrows.

Give me the strength to make my love fruitful in service.


Give me the strength never to disown the poor or bend my knees before insolent might.

Give me the strength to raise my mind high above daily trifles.

And give me the strength to surrender my strength to thy will with love.


-Rabindranath Tagore

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|

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2 responses to “मुझे शक्ति दो – रवीन्द्रनाथ ठाकुर”

  1. Bonjour,
    magnifique poème, que je viens traduire.
    a very beautiful poem
    It’s very needed in those darks moments.
    Thank you so much.
    Have a very good day

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    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks a lot ji. Have great time.

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