SamaySakshi

A sky full of cotton beads like clouds

  • 81. सरेआम अमानवीयता
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  • 3rd Jun 2023

    नहीं है हल शायद!

    दिल अगर है तो दर्द भी होगा, इसका कोई नहीं है हल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    मिरी ग़ज़ल शायद!

    लब पे आई मिरी ग़ज़ल शायद, वो अकेले हैं आज-कल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    अटका है पल शायद!

    कोई अटका हुआ है पल शायद, वक़्त में पड़ गया है बल शायद| गुलज़ार

  • 3rd Jun 2023

    दरमियाँ तो है!

    मुझसे बहुत क़रीब है तू फिर भी ऐ ‘मुनीर’, पर्दा सा कोई मेरे तिरे दरमियाँ तो है|     मुनीर नियाज़ी

  • 3rd Jun 2023

    शायद वो मिल ही जाए!

    आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए, वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है| मुनीर नियाज़ी

  • 3rd Jun 2023

    तुम गए चित्तचोर !

    आज एक बार फिर मैं हिन्दी काव्य जगत में गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले  स्वर्गीय गोपालदास नीरज जी का एक गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ|  नीरज जी की बहुत सी कविताएं मैंने पहले भी शेयर की हैं और उनके बारे में बहुत सी बातें भी लिखी हैं| लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय गोपालदास नीरज…

  • 2nd Jun 2023

    मगर पासबाँ तो है!

    इक चील एक मुम्टी पे बैठी है धूप में, गलियाँ उजड़ गई हैं मगर पासबाँ तो है| मुनीर नियाज़ी

  • 2nd Jun 2023

    कहीं गुल्सिताँ तो है!

    यूँ तो है रंग ज़र्द मगर होंट लाल हैं, सहरा की वुसअ’तों में कहीं गुल्सिताँ तो है| मुनीर नियाज़ी

  • 2nd Jun 2023

    कोई दास्ताँ तो है!

    देती नहीं अमाँ जो ज़मीं आसमाँ तो है, कहने को अपने दिल से कोई दास्ताँ तो है| मुनीर नियाज़ी

  • 2nd Jun 2023

    तू ख़ुदा के सामने!

    याद भी हैं ऐ ‘मुनीर’ उस शाम की तन्हाइयाँ, एक मैदाँ इक दरख़्त और तू ख़ुदा के सामने| मुनीर नियाज़ी

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