SamaySakshi

A sky full of cotton beads like clouds

  • 81. सरेआम अमानवीयता
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  • 2nd Jun 2023

    जैसे पत्थर हो गया!

    मैं तो उसको देखते ही जैसे पत्थर हो गया, बात तक मुँह से न निकली बेवफ़ा के सामने| मुनीर नियाज़ी

  • 2nd Jun 2023

    रंग-ए-हिना के सामने!

    वो रंगीला हाथ मेरे दिल पे और उसकी महक, शम-ए-दिल बुझ सी गई रंग-ए-हिना के सामने| मुनीर नियाज़ी

  • 2nd Jun 2023

    उदित संध्या का सितारा!

    आज एक बार फिर मैं हिन्दी में गीत कवियों के सिरमौर रहे स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन  जी का एक गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ|  बच्चन जी की बहुत सी कविताएं मैंने पहले भी शेयर की हैं और उनके बारे में बहुत सी बातें भी लिखी हैं| लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन जी की यह…

  • 1st Jun 2023

    मेरी सदा के सामने!

    रात इक उजड़े मकाँ पर जा के जब आवाज़ दी, गूँज उट्ठे बाम-ओ-दर मेरी सदा के सामने| मुनीर नियाज़ी

  • 1st Jun 2023

    उस हवा के सामने!

    तेज़ थी इतनी कि सारा शहर सूना कर गई, देर तक बैठा रहा मैं उस हवा के सामने| मुनीर नियाज़ी

  • 1st Jun 2023

    इस अदा के सामने!

    बैठ जाता है वो जब महफ़िल में आ के सामने, मैं ही बस होता हूँ उस की इस अदा के सामने| मुनीर नियाज़ी

  • 1st Jun 2023

    कितने और ठिकाने थे!

    हमको सारी रात जगाया जलते बुझते तारों ने, हम क्यूँ उनके दर पर उतरे कितने और ठिकाने थे| इब्न-ए-इंशा

  • 1st Jun 2023

    इसके लाख बहाने थे!

    ये लड़की तो इन गलियों में रोज़ ही घूमा करती थी, इससे उनको मिलना था तो इसके लाख बहाने थे| इब्न-ए-इंशा

  • 1st Jun 2023

    हाहाकार / हुंकार!

    आज एक बार फिर मैं राष्ट्रकवि और ओज के प्रमुख कवि स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर जी की एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ|  दिनकर जी की बहुत सी कविताएं मैंने पहले भी शेयर की हैं| लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर जी की यह कविता – दिव की ज्वलित शिखा सी उड़ तुम…

  • 31st May 2023

    मीठे लोग रसीले लोग!

    ज़िद्दी वहशी अल्लहड़ चंचल मीठे लोग रसीले लोग, होंट उन के ग़ज़लों के मिसरे आँखों में अफ़्साने थे| इब्न-ए-इंशा

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